कैसे मिलेगा लोगों को फायदा?
साथ ही इसको लेकर बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास फिक्स लोन का ऑप्शन हो, ऐसे में बैंको का कहना है कि इससे लोन की लागत में भी भारी फायदा होगा। बैंक, एनबीएफसी और दूसरी वित्तीय संस्थाओं के लिए जरूरी होगा कि वे ग्राहक को बताएं कि ब्याज घटने से उसे कितनी ज्यादा राशि देनी पड़ेगी।
बैंकों को देनी होगी ये जानकारी
- सर्कुलर के अनुसार, बैंकों को लोन स्वीकृति के समय और लोन की अवधि के दौरान फ्लोटिंग-रेट पर ब्याज दर रीसेट के प्रभाव के बारे में बताना चाहिए।
- लोन पास करते समय, बैंकों को मुख्य तथ्य विवरण (KFS) में वार्षिक ब्याज दर का खुलासा करना चाहिए, दर परिवर्तनों के संभावित प्रभाव की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
- अवधि के दौरान EMI परिवर्तनों और ऋण विवरणों पर नियमित अपडेट प्रदान करना चाहिए।
- लोन पर बढ़ती ब्याज दरों को संबोधित करने के ऑप्शन के बारे में भी सूचित किया जाना चाहिए।
- इनमें EMI को समायोजित करना, लोन की अवधि बढ़ाना, फिक्स्ड से फ्लोटिंग में स्विच करना, समय से पहले लोन चुकाने का विकल्प आदि शामिल है।
आरबीआई ने छह साल पुराने एक सर्कलर पर जारी सवाल के जवाब में इस नियम का जिक्र किया है। आपका कोई भी कर्ज किसी भी समय का हो अब आप जब चाहें इसे फ्लोटिंग या फिक्स ब्याज दरों में बदल सकते हैं। इसको लेकर बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास फिक्स लोन का ऑप्शन हो इससे लोन की लागत में भी भारी फायदा होगा।